रुड़की स्थित मदरहुड विश्वविद्यालय शिक्षा शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में नित नए आयाम विकसित कर रहा है। जिसके लिए विश्वविद्यालय राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध संस्थानों के साथ अनुबंध कर रहा है। इस क्रम में एक और नया नाम जुड़ा है राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो दिल्ली का जो कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का अंतरराष्ट्रीय स्तर का संस्थान है। राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो के निदेशक डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि उनका संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर फसल पौधों की अनुवांशिक विविधता का अनवेषण ,संरक्षण एवं संवर्धन करता है। जिससे कि कृषि के लिए उच्च गुणवत्ता की नई नई किस्में विकसित की जाती है ,जिससे कि भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए डॉ. सिंह ने बताया कि भारत में धान की प्रजातियो की संख्या 50000 और जंगली प्रजातियों की संख्या लगभग 200 होने का अनुमान है। इसके अलावा हर साल लगभग 20 नई उन्नत किस्में भी जारी की जाती है। प्रजातियों के भीतर यह विविधता ही है जो विभिन्न क्षेत्रों में, मौसम और मिट्टी की स्थिति जैसी विभिन्न स्थितियों में फसलों की खेती की अनुमति देती है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफ़ेसर (डॉ.)नरेंद्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय उत्तराखंड में स्थित होने के कारण इस अनुबंध का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि उत्तराखंड जैव विविधता की दृष्टि से बहुत ही सशक्त एवं समृद्ध राज्य है। उन्होंने बताया कि राज्य में वनस्पतियों की 7066 प्रजातियां मौजूद हैं इनमें से अब तक 176 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है। जो कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड सूची में दर्ज है। प्रो.शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रदेश में विलुप्त हो रही वानस्पतिक प्रजातियों के संरक्षण के लिए ब्यूरो के साथ मिलकर कार्य करेगा। इस तरह के राष्ट्रीय अनुबंध विश्विद्यालय के कृषि संकाय एवं वनस्पति विज्ञान के छात्रों के शिक्षण एवम् शोध में एक नया आयाम स्थापित करेंगे ।
इस अनुबंध के लिए प्रो. (डॉ.) नरेंद्र शर्मा ने कृषि संकाय के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) कृष्ण पाल चौहान एवम् समस्त शिक्षकगणों को शुभकामनाएं प्रेषित की।