Blogसामाजिक

Pitrpaksh:पितृपक्ष की शुरुआत 17 या 18 से?, जानें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

Pitrpaksh starts from 17 or 18?, know what the astrologer says

पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करने का विशेष समय माना जाता है। यह 16 दिनों तक चलता है, जिसमें लोग अपने पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। लेकिन इस साल पितृपक्ष की शुरुआत को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है। सवाल यह उठ रहा है कि पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू होगा या 18 सितंबर से? ज्योतिषाचार्यों की राय इस विषय पर क्या है, आइए जानते हैं।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य?

ज्योतिष के अनुसार, पितृपक्ष की शुरुआत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल यह तिथि 17 सितंबर की दोपहर से शुरू हो रही है, लेकिन कुछ पंचांगों में 18 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत मानी जा रही है। इसका कारण यह है कि प्रतिपदा तिथि 17 सितंबर की दोपहर से शुरू होकर 18 सितंबर की दोपहर तक रहेगी, इसलिए कुछ लोग 18 सितंबर से इसे मानने की सलाह दे रहे हैं।

पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की तिथि

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पितृपक्ष की सही शुरुआत 17 सितंबर को मानी जाएगी, क्योंकि इसी दिन से प्रतिपदा तिथि लग रही है। इस दिन से श्राद्ध कर्म और तर्पण की विधियां शुरू की जा सकती हैं। हालांकि, जो लोग किसी विशेष कारण से 18 सितंबर को श्राद्ध कर्म शुरू करना चाहें, उनके लिए भी यह मान्य होगा, क्योंकि तिथि उस दिन भी मौजूद होगी।

पितृपक्ष का महत्व

पितृपक्ष का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। इसे पितरों को मोक्ष दिलाने का समय माना जाता है, और इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म किए जाते हैं। यह समय उन लोगों के लिए खास होता है, जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं।

ज्योतिषाचार्यों की सलाह

ज्योतिषाचार्य यह सुझाव देते हैं कि पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से करें और उसी दिन से तर्पण और श्राद्ध कर्म शुरू करें। हालांकि, अगर किसी विशेष परिस्थिति में 18 सितंबर से श्राद्ध करना हो, तो उस दिन भी इसे किया जा सकता है, क्योंकि प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर तक रहेगी।

इस प्रकार, पितृपक्ष की शुरुआत को लेकर कोई सख्त नियम नहीं है, लेकिन अधिकतर ज्योतिषाचार्य 17 सितंबर को सही मानते हैं। दोनों ही दिनों में पूर्वजों की पूजा का महत्व समान रहेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button