दिल्ली की राजनीति में अचानक बड़ा मोड़ आया है, जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। केजरीवाल, जो आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख नेता हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में कई अहम योजनाओं और नीतियों को लागू कर चुके हैं, के इस फैसले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है।
इस्तीफे की खबर के साथ ही दिल्ली की सियासत में भूचाल आ गया है। सूत्रों के अनुसार, केजरीवाल ने अपने इस्तीफे की चिट्ठी दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंप दी है, हालांकि इस्तीफे के पीछे की असली वजह अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है। राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं—कुछ का मानना है कि यह कदम पार्टी के अंदरूनी मतभेदों का नतीजा है, तो कुछ इसे केंद्र सरकार के साथ लंबे समय से चल रहे टकराव से जोड़ रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन जल्द ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए स्थिति स्पष्ट किए जाने की उम्मीद है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर केजरीवाल ने बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे, जिन्हें लेकर जनता के बीच उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ी थी। ऐसे में उनका इस्तीफा न सिर्फ दिल्ली की राजनीति, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा असर डाल सकता है।
विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल के इस्तीफे को ‘विफलताओं का परिणाम’ बताया है। वहीं, समर्थकों का कहना है कि केजरीवाल के इस फैसले के पीछे कोई बड़ी रणनीति हो सकती है, जिसे समय के साथ स्पष्ट किया जाएगा।
इस इस्तीफे के बाद अब दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा। सभी की निगाहें अब AAP की अगली रणनीति पर टिकी हैं।